कहानी--समय का पहिया
मैं समय हूं.. सुनो ..सब लोग ..मैं समय हूं..!
मैं समय का पहिया निरंतर घूमता रहता हूं ।कभी भी रुकता नहीं है ।
लोगों ने अपनी सहूलियत के लिए मुझे तीन भागों में बांटा गया है
भूतकाल
वर्तमान काल
और भविष्य काल
यह काल जो है पल पल पल घूमता हुआ ,
हर समय चलता हुआ , यह मैं ही हूँ.. समय ।
मेरे अंतर्गत ही सारी कहानियां घटित होती है और फिर सारी कहानियां बीत जाती है जैसे कुछ हुआ ही ना हो जैसे कि यह तो बड़ी मामूली घटना थी।
इस दुनिया में कुछ भी सत्य नहीं है।
सब कुछ नश्वर है जिन्होंने भी आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया है उन्होंने दुनिया को बिल्कुल सही बताया है कि यह नश्वर है और मायावी है।
यहां कुछ भी सच नहीं ।
बचपन जवानी में, जवानी बुढ़ापे में, और बुढ़ापा मृत्यु में।
मृत्यु के बाद अगले जन्म में।जन्मों के चक्रव्यूह बस ऐसे ही चलते रहते हैं।
आइए समय के इस पल में एक कहानी सुनते हैं।
गौतम बुद्ध अपने शिष्यों और समाज के कल्याण के लिए दिन रात जुटे रहते थे ः
वह घूम घूम कर सकते जीवन के सत्य ,जरा मरण, दुख आदि पर चर्चा करते और ज्ञान देने का प्रयास करते थे ।
वह एक बार घूमते घूमते वैशाली पहुंचे ।
वहां उन्होंने प्रतिदिन नियम से जन समुदाय को अपने उपदेशों और आशीर्वचनों से जन समुदाय के दुख का हरण करने का प्रयास करते थे।
एक व्यापारी बड़े ध्यान से भगवान बुद्ध के प्रवचनों को सुनता था ।
एक दिन वह बड़ी उदास मन से पूछा
भगवन,मैं प्रतिदिन दिन आप का प्रवचन सुनने आता हूं और उस पर अमल भी करना चाहता हूं लेकिन मैं स्वयं से परेशान हूं मैं कुछ भी नहीं कर सकता।,,
थोड़ी देर उसकी तरफ देखने के बाद गौतम बुद्ध थोड़ा मुस्कुरा ए।
वह मुस्कुरा कर बोले
,,वत्स, तुम कहां रहते हो?,,
व्यापारी --,,श्रावस्ती में।,,
गौतम बुद्ध--,, यहां कैसे आए?,,
व्यापारी--,,अपने तांगे से।
गौतम बुद्ध--,,तांगे गाड़ी आने में कितना समय लगा?
व्यापारी-- 8 घंटे का ।
गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा
,, तुम अभी श्रावस्ती पहुंच जाओ तो क्या तुम पहुंच पाओगे?,,
व्यापारी-- ऐसा कैसे हो सकता है ?भगवन वहां से आने में मुझे कम से कम 8 घंटे लगते हैं ।मैं तुरंत कैसे जा सकता हूं।
गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा
,,जब तुम इस लोक की दूरी को नहीं मिटा सकते तो वह पारलौकिक दुनिया की दूरी को कैसमिटा सकते हो?
यह तो तप है।
यह तो तपस्या है।
इससे तुम्हें करना पड़ेगा तभी तुम कुछ हासिल कर पाओगे।,,
व्यापारी को जवाब मिल गया। वह गौतम मुझ को प्रणाम कर संतुष्ट हो कर चला गया।
हाँ तो इस कथा से कुछ सीख मिली।मात्र तपज्ञान और आत्मज्ञान ही जन्मों के भटकाव से मोक्ष दिलाती है।
इसलिए सबसे पहले मेरा सदुपयोग करो।मेरी इज्ज़त और सम्मान करो।
***
सीमा..✍️
#लेखनी दैनिक कहानी प्रतियोगिता
Barsha🖤👑
24-Sep-2022 09:44 PM
Beautiful part
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Simran Bhagat
24-Sep-2022 11:42 AM
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻
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Mithi . S
24-Sep-2022 10:31 AM
बहुत सुंदर रचना
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